बलिदान दिवस पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को दी गई दीपांजलि

सूर्यकुण्ड धाम सरोवर के प्रांगण में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को दीपांजलि से अमृत महोत्सव का समापन

गोरखपुर। स्वाधीनता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विगत एक माह से अमृत महोत्सव मनाए जा रहे हैं। अमृत महोत्सव महाभियान का समापन समारोह सूर्यकुण्ड धाम सरोवर के प्रांगण में रविवार को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को दीपांजलि कर किया गया। बड़ी संख्या में स्वयं सेवको ने दीप जलाकर सामूहिक भारत माता की आरती की। बलिदान दिवस पर वीर सपूत पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की दीपांजलि से पूरा वातावरण देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया। सभी के जुबां पर देश भक्ति के गीत गूंज रहे थे। सरोवर परिसर में उत्सव जैसा माहौल था।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ भारती व पंडित राम प्रसाद बिस्मिल चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन से हुआ। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक सुभाष जी उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर संघचालक हरि नारायण विश्वकर्मा ने किया। संचालन नगर कार्यवाह नागेन्द्र जी ने किया। जबकि आभार प्रकट भाग कार्यवाह दुर्गेश जी ने किया।  

मां भारती और शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की आरती सह भाग संघचालक आशीष जी ने किया।

मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने अपने उद्बोधन से लोगो को अभिसिंचित कर दिया। 

प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सम्पूर्ण देश स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा, पर जरा चिंतन करे कि अंग्रेजों का क्रूर शासन कैसा था। भारत माता के गुमनाम बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित करें, उनके स्वप्न को पूरा करें। 75 वर्ष में हम कहाँ है, हमारा देश महान था है और रहेगा।

उन्होंने कहा कि आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन वीर सपूत पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का बलिदान दिवस है। 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को अंग्रेजी शासकों द्वारा फांसी पर चढ़ा दी गई थी। 

पं. रामप्रसाद बिस्मिल के बलिदान को याद करते उन्होंने कहा कि अदालत में अपनी बहस खुद उन्होंने की, जब अंग्रेजो को लगा कि हम हार जाएंगे तो उन्होंने उन्हें फांसी की सजा दे दी। आज उनके बलिदान दिवस पर उन्हें नमन करे।

उन्होंने गोरखपुर व आस-पास के जिलों के क्रांतिकारीयो को रेखांकित करते हुए बताया कि वीर बाबू बन्धु सिंह, रोशन लाल, राजा तेज प्रताप चंद ने यहां अंग्रेजो को धूल चटा दिया था। हम नमन करे डोहरिया कला, चौरी-चौरा, नरहरपुर, पैना गांव जहा छः सौ महिलाओं ने जल समाधि ली थी, बरहज आदि जगहों में बलिदान हुए। क्रांतिवीरों को जिन्होंने देश की आन-बान-शान के लिए अपना प्राण तक न्यौछावर कर दिया।

उन्होंने कहा कि हमारे अमर क्रांतिकारी बलिदानियों का स्वप्न था जग सिर मौर बनाए भारत उस स्वप्न को पूरा करना है। अपने संस्कृति, अपने धर्म, अपने स्वराज्य, सम्पूर्ण समाज, जंगल, जमीन को बचाना हमारा कर्तव्य है। हमे स्वदेशी अपनाना होगा भारतीयता को बढ़ाना होगा, तब स्वदेश का उत्थान होगा। महान पूर्व क्रांतिकारियों ने जो भारत बनाकर दिया उसे बचा कर अखंड भारत का निर्माण करना है। 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से नगर संघचालक आर्यनगर राजाराम जी, प्रभात कार्यवाह अमरदीप, नगर कार्यवाह राकेश सिंह, शीतल मिश्रा, समरेन्दु सिंह, भाग प्रचारक राजकुमार, नगर प्रचारक अभय जी, प्रतीक सिंह, विनय, दिव्य प्रताप सिंह, उमेश गुप्ता, रिमझिम, राधा, सुहानी, सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे।

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