भाजपा ने शामिल किया एक और ब्राह्मण का बड़ा चेहरा

पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट की लड़ाई, सपा को टक्कर देंगे भानु प्रकाश मिश्र 

 
गोरखपुर। भानु प्रकाश मिश्रा पूर्वांचल में ब्राह्मणों के कद्दावर नेता हैं, जो सपा के टिकट से 2007 में गोरखपुर सदर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें 27896 वोट पाकर दूसरा स्थान मिला था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों 2022 में सियासी दलों के बीच ब्राह्मण वोटों की लड़ाई चल रही है। खासकर पूर्वांचल में, जहां ब्राह्मण मतदाता चुनावों का रुख बदलने का माद्दा रखता है। समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर के ब्राह्मण परिवार से हरिशंकर तिवारी के बेटों भीष्मशंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी को साइिकल पर सवार कर चुका है। समाजवादी पार्टी ने तिवारी परिवार के जरिए पूर्वांचल के ब्राह्मण मतदाताओं में पैठ बनाने की कोशिश की। जिससे बीजेपी में हलचल मची। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ब्राह्मण विरोधी का तथाकथित आरोप लगता रहता है। ऐसे में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को मात देने के लिए पूर्वांचल में कभी उसके कद्दावर ब्राह्मण नेता रहे भानु प्रकाश मिश्र को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने अपनी पार्टी में शामिल कराया।

भानु प्रकाश मिश्र का हिन्दू वादी नेता होने के नाते भाजपा भानु पर ज्यादा भरोसा जता रही है। 

बता दें कि भानु मिश्रा 90 की दशक से ही राजनित में हिन्दू नेता के तौर पर कदम रखा। 

सबसे पहले इन्होंने 1993 शिव सेना के सिम्बल पर गोरखपुर विधान सभा से चुनाव लड़े। चुकि, पहली बार चुनाव लड़ने और राजनैतिक अनुभव ज्यादा नहीं होने से ये मात्र 5642 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहे। इसके बावजूद भी इनके साथ युवााओं की एक बहुत बड़ी टीम हमेशा हौसला बढ़ाने के लिए आगे रहा। 

वर्ष 1996 में दूसरी बार शिव सेना के प्रत्याशी के रूप में गोरखपुर सदर विधान सभा से पूरी दमखम से लड़ा और इस बार वे 9887 वोट पाकर पुनः चौथे नंबर पर रहे। इस बार वे पहले से 4245 अधिक वोट पाएं। लेकिन इनकी बढ़ती हुयी लोकप्रियता और ब्राह्मणों के कद्दावर नेता होने के वजह से एक अगस्त 1997 को एके 47 से इनके ऊपर प्राणघाती हमला माफिया सरगना श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा लखनऊ के दिलीप होटल  किया गया। जिसमें इनके ममेरे भाई की जान चली गयी और भानु को करीब 34 गोली लगाने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए। जिसका इलाज लगभग 8 वर्षो तक चला और किसी अच्छे कर्मो की वजह से इनकी जान बच गयी परन्तु एक हाथ में अधिक गोली लगाने से स्टील राड लगाना पड़ा जो पूरी तरह से कार्य नहीं करती है। इस दौरान वे शिव सेना से लगभग 10 वर्षो तक जुड़े रहे। बालासाहेब ठाकरे से इनका सीधा संपर्क रहा है। इस घटना के बाद से ही इन्होंने सपा का दामन थम लिया था। 

भानु प्रकाश मिश्र पूर्वांचल में ब्राह्मणों के कद्दावर नेता हैं, जो सपा के टिकट से गोरखपुर सदर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें दूसरा स्थान मिला था। हालांकि, उन्हें 27 हजार से अधिक वोट मिले और उन्होंने अच्छी लड़ाई लड़ी। वहीं अब बीजेपी ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर ब्राह्मणों को संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी में ब्राह्मणों का सम्मान ज्यादा होता है। खुद भानु प्रकाश मिश्र भी कह चुके हैं कि समाजवादी पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है। सपा ब्राह्मण विरोधी पार्टी है। बीजेपी इकलौती पार्टी है, जहां ब्राह्मणों का अधिक सम्मान होता है। जबकी अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वे हिंदू नेता के तौर पर जाने और पहचाने जाते हैं। युवाओं में इनकी एक ही अच्छी खासी साख है।

भानु मिश्रा का भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष व अभिनेता मनोज तिवारी, भाजपा के गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी के महानायक अभिनेता रवि किशन शुक्ला समेत अनेक फिल्मी हस्तियों से मधुर संबंध है। 

बीजेपी अगर भानु प्रकाश मिश्र को गोरखपुर से विधानसभा का टिकट देकर ब्राह्मणों को संदेश दे सकती है। अगर ऐसा होता है तो विधानसभा चुनावों में ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के लिए भानु प्रकाश मिश्र और तिवारी परिवार के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है।

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