नारी शक्ति का सम्मान सनातन संस्कृति की पहचान : महामंडलेश्वर

 

आरती पूजन के साथ तीन दिवसीय कथा का समापन

भारती संस्कृति को सहेजने और सवारने में विद्या भारती की अग्रणी भूमिका 

धर्म, राष्ट्र, और मातृ भक्ति की पाठ पढ़ाता है शिशु मन्दिर : कथाव्यास 

गोरखपुर। सूर्यकुण्ड स्थित सरस्वती बालिका विद्यालय में तीन दिवसीय "किशोरी एवं मातृ शाक्ति" कथा सामापन शनिवार को आरती पूजन से हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद अतिथियों का परिचय सरस्वती बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ0 श्रीमती सरोज तिवारी ने कराया।

महामंडलेश्वर ने अपने उद्बोधन में कहा कि नारी शक्ति का सम्मान सनातन संस्कृति की पहचान है। नारी शक्ति ही धर्म की रक्षा के लिए देवी के नव रूप धारण कर असुरों का संहार किया। राष्ट्र की रक्षा की जरूरत पड़ी तो झांसी की रानी, वीरांगना लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई जैसी नारियों ने अपनी प्राण का निछावर कर दिया। वैसे ही विद्या भारती शिक्षा मंदिर के बच्चें भी आज की वीरांगना हैं। जो आने वाले कल की भविष्य हैं। 

उन्होंने कहा कि शिशु मन्दिर में विद्यार्थी को धर्म, राष्ट्र और मातृ भक्ति की सच्ची शिक्षा प्राप्त होती है। जिससे आज हमारी सनातन धर्म व संस्कृति कायम है। भारती संस्कृति को सहेजने और सवारने में विद्या भारती की अग्रणी भूमिका रही है। 

कथाव्यास श्री श्याम मनावत जी ने कथा तृतीय दिवस को व्यास पीठ से कहा कि शिशु मन्दिर अपने बच्चों को धर्म, राष्ट्र, और मातृ भक्ति की पाठ पढ़ाता है।

उन्होंने "किशोरी एवं मातृ शाक्ति" कथा का शुभारंभ करते हुए रास की तीसरी शर्त का विश्लेषण करते हुए बताया कि गंगा भक्ति है, सरस्वती ज्ञान है तथा यमुना कर्म का प्रतीक है और भगवान कृष्ण कर्म की प्रतिभूर्ति है। अतः जीवन में बन सकते हो तो कर्मठ बनो कर्मशील बनो क्यांकि श्रम से ही मोती पैदा होता है। जिसने जीवन में छोटे छोटे कमों में पसीना बहा दिया वह बडे़ काम यूहि कर लेता है। क्योंकि जो तपेगा वही पीघलेगा जो पीघलेगा वो ढलेगा और जो ढलेगा वही तो बनेगा। उन्होनें छात्राओं को सम्बोधित करते हुए राधाकृष्णन जी वक्तव्य दिया कि हमने आकाश में चिड़िया की तरह उड़ना सीख लिया पानी में मछली की तरह तैरना सीख लिया किन्तु दुर्भाग्य है कि हमने आज तक धरती पर मनुष्य की तरह जीना नही सीखा।

अतः व्यक्ति को धरती पर पुरूषार्थी बनकर जीना सिखना चाहिए। व्यक्ति को अपनी सारी योग्यता अपना सारा सामर्थ राष्ट्र के लिए न्यौछावर कर देना चाहिए।

श्री श्याम मनावत जी ने जीवन के यथार्थ पहलू पर मातृ शक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरू ज्योर्तिलिग है संत जो बोलता है वह शास्त्र बन जाता है कबीर और मीरा आदि संतां के उदाहरण हमारे सामने है आज ज्ञान कर्म कि दिशा बदल गई है। ज्ञान और भक्ति दोनों भुला दिये गये कर्म ही शेष रह गया है। व्यक्ति को अपने मन को संकुचित नही रखना चाहिए मन संकुचित होने पर महाभारत होता है और मन बड़ा होता है तो राम और भरत का का मिलन होता है और चित्रकूट बन जाता है। अपने सुख के लिए दूसरों के अधिकार को छिनना अतिक्रमण होता है और दूसरों के सुख के लिए अपने अधिकारों से पीछे हटना प्रतिक्रमण है। कर्म अतिक्रमण सिखाता है और भक्ति प्रतिक्रमण सिखाती है। व्यक्ति के संस्कारों की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में होती है उसी समय व्यक्ति की दृढ़ता का पता चलता है। "स्वामी विवेकान्नद ने कहा था कि पश्चिम जगत सिर्फ लेना जानता है।" भारतीय संस्कृति में जो लौटाना नही जानता उसे असुर कहा गया है। 

जो लौटाना जानते है वही देवता कहलाते है। भारतीय संस्कित देव संस्कृति है, आर्य संस्कृति है। शिशु मन्दिर के छात्रों को यह सिखाया जाता है कि माता पिता व समाज से जितना मिला है उसे वापस भी करना है। भारतीय संस्कृति के बीजों को शिशु मन्दिरों ने बचा कर रखा है इन भारतीय संस्कृति के बीजों को नष्ट न होने दे। भारतीय संस्कृति का उदघोष है धर्म कि जय हो अधर्म का नाश हो अघर्म के नाश से धर्म की जय होगी तभी प्राणीयों में सदभावना होगी विश्व का कल्याण होगा धर्म की रक्षा से राष्ट्र की रक्षा होगी हमे संस्कृति कि रक्षा हेतु उत्तरदायी होना होगा सत्य व संन्त भारतीय व्यवस्था के आधार है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महामण्डलेश्वर कनकेश्वरी नन्द गीरि, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त प्रचारक मा0 सुभाष जी एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सांसद गोरखपुर सदर माननीय रवि किशन जी एवं महिला आयोग उत्तर प्रदेश की सदस्य श्रीमती निर्मला द्विवेदी, व अध्यक्ष क्षेत्रीय बालिका शिक्षा प्रमुख श्री उमाशंकर मिश्र अखिल भारतीय बालिका शिक्षा संयोजिका मा0 रेखा चूणासमा जी विद्याभारती क्षेत्रीय संगठन मंत्री मा0 हेमचन्द्र जी, विद्या भारती गोरक्षप्रान्त के संगठन मंत्री मा0 रामय जी क्षेत्रीय खेल प्रमुख जगदीश जी, प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति गोरक्षप्रान्त श्री कमलेश कुमार सिंह जी, एवं कार्यक्रम की संयोजिका एवं दी0द0उ0गो0विश्व विद्यालय गोरखपुर समाजशास्त्र विभाग की प्रो0 एवं वर्तमान में विद्यालय प्रबन्ध समिति की मंत्री कीर्ति पाण्डेय, आभार ज्ञापन डॉ0 रामनाथ गुप्त जी ने किया।

कार्यक्रम में भाग कार्यवाह दुर्गेश जी, समरेंदु सिंह, राकेश सिंह, अमरदीप गुप्ता, प्रतीक सिंह, शीतल मिश्र समेत विद्या भारती के एवं शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहें।

Comments