राधेश्याम खेमका के संपादन में गीता प्रेस में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक और साहित्यिक बदलाव देखने को मिला
राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार मिलने से काशी के साथ गोरखपुरवासियों में भी खुशी की लहर है. वे धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के प्रमुख केन्द्र विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष और गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली 'कल्याण' पत्रिका के 38 वर्षों तक संपादक रहे हैं. राधेश्याम खेमका का जन्म 12 दिसंबर 1935 को बिहार के मुंगेर में हुआ था. 3 अप्रैल 2021 को 86 वर्ष की आयु में उनका काशी के केदार घाट पर निधन हुआ. ताउम्र गंगाजल का सेवन करने वाले राधेश्याम खेमका दशकों से गंगाजल का ही सेवन करते रहे.
साढ़े नौ करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हुईं
गोरखपुर
स्थित गीता प्रेस ट्रस्ट के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल बताते हैं कि
कल्याण पत्रिका का प्रकाशन 1926 से हो रहा है. एक वर्ष ये बंबई से छपा था.
इसके बाद से इसका प्रकाशन गीता प्रेस गोरखपुर से हो रहा है. आदि संपादक
भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार रहे हैं. महात्मा गांधी ने पहले अंक के लिए
लेख लिखा था. राधेश्याम खेमका बरसों से गीता प्रेस से जुड़े रहे हैं. वर्ष
1982 में नवंबर और दिसंबर माह के कल्याण का उन्होंने संपादन किया था.
इसके बाद वर्ष 1983 के मार्च के अंक से कल्याण के संपादक रहे हैं. उनकी
जीजिविषा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मृत्यु के पूर्व 86
वर्ष की उम्र में भी अप्रैल 2021 तक के अंकों का संपादन उन्होंने किया.
उनके संपादन में कल्याण के 38 वार्षिक विशेषांक, 460 मासिक अंक प्रकाशित
हुए. इस दौरान कल्याण की 9 करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं.
कल्याण में पुराणों और लुप्त हो रहे संस्कारों के साथ कर्मकांड की
पुस्तकों का प्रमाणिक संस्करण भी उनके सम्पादकत्व में प्रकाशित हुआ.
गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष रहे
सबसे
खास बात ये हैं कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के संपादक रहते हुए
महात्मा गांधी ने इसके प्रथम अंक के लिए ‘स्वाभाविक’ नाम से लेख लिखा था.
महात्मा गांधी ने इस पत्रिका में विज्ञापन और आलोचना नहीं छापने की बात
कही थी. जिसका राधेश्याम खेमका के संपादन काल से लेकर अभी तक पालन होता
चला आ रहा है. राधेश्याम खेमका वर्ष 2014 से निधन होने तक गीता प्रेस
ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं. वर्ष 2002 में उन्होंने काशी में वेद
विद्यालय की स्थापना की. अधिकांश समय वे काशी में ही गुजारे. गोरखपुर में
कार्य के सिलसिले में उनका आना-जाना रहता रहा है. 12 दिसंबर 1935 को मुंगेर
में उनका जन्म हुआ. 60 से अधिक वर्षों तक उन्होंने इलाहाबाद में माघ
मेला में एक माह तक कल्पवास किया.
उनके संपादन में बड़े बदलाव हुए
राधेश्याम
खेमका के संपादन में गीता प्रेस में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक और
साहित्यिक बदलाव देखने को मिला. लुप्तप्राय हो रहे पुस्तकों के प्रामाणिक
संस्करण प्रकाशित कराने को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया और प्रकाशन
कराया. पुराणों का कल्याण के माध्यम से प्रकाशन कराया. आरोग्य अंक और
शिक्षांक जैसे समसामयिक विषयों पर विशेषांक निकालकर समाज को दिशा देने का
प्रयास भी किया. राधेश्याम खेमका बचपन से ही धार्मिक विचारों के रहे हैं.
वे धर्म सम्राट स्वामी कृपात्री महाराज के कृपापात्र रहे हैं. उनका जीवन
बहुत ही संयमित रहा है. साधु-संतों और गरीबों की सेवा उनके स्वभाव में रही
है. सनातन धर्म-संस्कृति की सेवा के फलस्वरूप निर्विवाद रूप से पद्म
विभूषण पुरस्कार के वे अधिकारी रहे हैं.
सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते थे
राधेश्याम
खेमका गृहस्थ संत रहे हैं. सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में पूरा
समय लगाते रहे हैं. सनातन परम्परा के संस्कारों के हिमायती होने के साथ
धर्म, कर्म, पूजा-पाठ में बड़ा विश्वास रखते रहे हैं. पूर्ण रूप से
सात्विक और साधु स्वभाव के रहे हैं. उनके मन में किसी भी प्रकार के
सम्मान की लालसा नहीं रही है. गीता प्रेस उनके कार्यकाल के दौरान आधुनिक
तकनीक में उन्नत हुआ. आधुनिक तकनीक के प्रस्ताव पर वे तुरंत हामी भर देते
रहे हैं. गीताप्रेस को आधुनिक बनाने में उनका अहम योगदान रहा है.
गीताप्रेस में करोड़ों रुपए कीमत की मशीनें उन्हीं के अध्यक्षीय कार्यकाल
में आईं. इसी के बाद गीता प्रेस में छपाई की रफ्तार बढ़ी. उनकी इच्छा रही
है कि शताब्दी वर्ष पर किसी ग्रंथ का प्रकाशन किया जाए.
इनका संपादन किया
राधेश्याम
खेमका ने श्रीवामनपुराणांक, चरितनिर्माणांक, श्रीमत्स्यपुराणांक,
संकीर्तनांक, शक्ति उपासना अंक, शिक्षांक, पुराणकथांक, देवता अंक,
योगतत्वांक, संक्षिप्त भविष्यपुराणांक, शिवोपासनांक, श्रीरामभक्ति अंक,
गोसवा अंक, धर्मशास्त्रांक, कूर्मपुराणांक, भगवल्लीलांक, वेदकथांक,
संक्षिप्त गरुणपुराणांक, आरोग्य अंक, नीतिसार अंक, भगवत्प्रेम अंक,
व्रतपर्वोत्वस अंक, देवी पुराण (महाभागवत) संस्कार अंक, अवतारकथांक,
श्रीमद्देवीभागवत अंक (पूर्वांर्ध), श्रीमद्देवीभागवत अंक (पूर्वार्ध),
श्रीमद्देवीभागवत अंक (पूर्वार्ध), श्रीमद्देवीभागवत अंक, भक्तमाल अंक,
ज्योतिषतत्वांक, सेवाअंक, गंगा अंक, श्रीशिवमहापुराण अंक (पूर्वार्ध),
श्रीशिवमहापुराण अंक (उत्तरार्ध), श्रीराधामाधव अंक, श्रीगणेशपुराणांक
(अप्रैल 2021 के अंक तक) का राधेश्याम खेमका ने संपादन किया.
Comments