दीपक चक्रवती,
बनारस के अस्सी घाट के पास कबीर नगर में रहने वाले स्वामी शिवानंद जी का कहना है कि मैं जब जीवित हूं तो नेताजी सुभाष जी क्यों नहीं जीवित हो सकते मेरा मानना है वो आज भी जीवित हैं। वो साधु संत के वेश में सामान्य जन जीवन से दूर हैं।
स्वामी शिवानंद जी का कहना है मेरा जन्म ८अगस्त १८९६ को वर्तमान बांग्लादेश के सिलेट में हुआ था और नेताजी सुभाष जी का जन्म २३जनवरी १८९७ में उड़िसा के कटक में हुआ था। १९०१ में सुभाष जी के पिता श्री जानकीनाथ बोस ने कोलकाता के एल्गिन रोड में अपना गृह निर्माण कराया। बचपन के कुछ वर्ष हम दोनों का साथ में बीता एल्गिन रोड के सुभाष जी के आवास पर।
उम्र के इस दौर में सारे घटनाक्रम याद नहीं परन्तु इतना कह सकता हूं कि निस्वार्थ सेवा, अल्प आहार और योग के द्वारा जब मैं १२५ पार कर सकता तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी सिद्ध महापुरुष हैं सेवा भाव के प्रतिमूर्ति है तो उनका असमय चला जाना कैसे सम्भव है। नेताजी सुभाष जी ने सिविल सेवा का त्याग कर देश की आजादी में अपने को सौंपा और मैं उन्हीं दिनों विदेश चला गया ।१९५९ में गुरु के आदेश से वाराणसी लौटा और ईश्वर साधना में लीन हो गया।
बचपन के दिनों में कुछ वर्ष साथ बीताने के बाद फिर कभी उनसे मिलने का सौभाग्य नहीं हुआ लेकिन हालचाल बराबर मिला करता था।
जयतु नेताजी
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