भ्रांतियाँ हुईं दूर तो पीपीआईयूसीडी को अपनाने में बढ़ी दिलचस्पी

 काउंसलर्स के योगदान से पांच साल में चार गुना बढ़े लाभार्थी

यूपीटीएसयू की मदद से एएनएम को प्रशिक्षित कर काउंसलर बनाने का प्रयोग हुआ सफल



गोरखपुर, 19 जनवरी 2022। जंगल कौड़िया ब्लॉक की एएनएम प्रीति यादव ने छह महीने के भीतर 200 से ज्यादा प्रसूताओं को परिवार नियोजन के अस्थायी साधन पोस्टपार्टम इंट्रा यूटेराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) को अपनाने के लिए राजी  कर लिया । यह संभव हो पाया  महिलाओं और उनके परिजनों के मन में बैठी भ्रांति को दूर करने से । प्रीति जैसी काउंसलर्स ने लाभार्थियों के मन से भ्रांति को मिटाया  तो पांच साल में इस साधन के लाभार्थियों की संख्या भी चार गुना हो गयी । इस कार्य में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) द्वारा एएनएम को प्रशिक्षित कर परिवार नियोजन काउंसलर बनाने के प्रयोग ने अहम भूमिका निभाई है।

प्रशिक्षण प्राप्त कर काउंसलर बनी प्रीति बताती हैं कि महिलाओं को परिवार नियोजन के बॉस्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देने के लिए वह ओपीडी के पास ही बैठती हैं । जब गर्भवती चेक अप के लिए आती हैं तो वहीं पर उनकी और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाती है । उन्हें बताया जाता है कि पीपीआईयूसीडी पांच से दस साल के लिए लगती है और इसे आवश्यकता पड़ने पर निकलवाया जा सकता है । उन्हें यह भी बताया जाता है कि पानी की थैली यानी झिल्ली फट जाने के 18 घंटे बाद प्रसव की स्थिति में, प्रसव पश्चात बुखार या पेट दर्द होने की स्थिति में, योनि से बदबूदार स्राव या प्रसव पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव, किसी प्रकार का संक्रमण और योनि से सफेद पानी आने की स्थिति में यह साधन नहीं अपनाना है।

प्रीति का कहना है कि ज्यादातर महिलाओं के मन में यह भ्रांति होती है कि पीपीआईयूसीडी मांस पकड़ लेता है या फिर शरीर में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है । ऐसी महिलाओं को चित्र के जरिये समझाया जाता है कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है और यह सिर्फ भ्रम  है । प्रसव के पहले से दिये गये परामर्श से प्रेरित गर्भवती और उनके परिजन प्रसव पश्चात पीपीआईयूसीडी लगवाने के लिए तैयार हो जाते हैं । यह साधन प्रसव के 48 घंटे के अंदर या छह सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है । गर्भपात होने के बाद तुरंत या 12 दिन के अंदर भी इसे अपना सकते हैं, बशर्ते आईयूसीडी संक्रमण या चोट न लगा हो । दो बच्चों में अंतर रखने या फिर भविष्य में बच्चा न चाहने की चाहत रखने वाले इस साधन को अपना सकते हैं । पांच और दस साल के लिए इसकी अलग-अलग डिवाइस आती है । लंबे समय तक गर्भ धारण से छुटकारा दिलाने में यह बेहद मददगार है ।


पीपीआईयूसीडी के आंकड़े

वर्ष लाभार्थियों की संख्या

2017-18 3775

2018-19 6565

2019-20 8150

2020-21 11214

2021-22 (दिसंबर तक) 11652


पांच गुना बढ़े काउंसलर्स

एएनएम को प्रशिक्षित कर परिवार नियोजन काउंसलर बनाने का प्रयोग गोरखपुर में ही हुआ है । यहां वर्ष 2017-18 में जहां सिर्फ पांच काउंसलर थे, वहीं वर्ष 2021-22 तक इनकी संख्या 24 हो गयी है । सभी काउंसलर्स को पिछले और इस साल प्रशिक्षण दिया गया और हर छह महीने पर प्रशिक्षण प्रस्तावित है । वर्तमान में सभी एनम काउंसलर को आईयूसीडी पीपीआईयूसीडी लगाने का प्रशिक्षण भी जनपद के प्रशिक्षक के माध्यम से दिलवाया गया है और वह सफलतापूर्वक आईयूसीडी एवं पीपीआईयूसीडी लगा रही है।


आशा कार्यकर्ताओं की बढ़ी प्रतिभागिता

पीपीआईयूसीडी की भ्रांतियों को दूर किये जाने से आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में प्रतिभागिता भी बढ़ी है । वर्ष 2020-21 में जहां अप्रैल से दिसंबर माह तक महज 39.85 प्रतिशत आशाओं को इस विधा में प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई थी वहीं वर्ष 2021-22 में यह प्रतिशत बढ़ कर 58.26 हो गया ।


अच्छे परिणाम सामने आए

यूपीटीएसयू संस्था की मदद से जिले की एएनएम को प्रशिक्षित कर परिवार नियोजन काउंसिलिंग की बेहतर जानकारी दी गयी । इसका सबसे अच्छा परिणाम अस्थायी साधन पीपीआईयूसीडी में नजर आया । इसके लाभार्थियों की संख्या बढ़ी है और कोविड काल में भी हम राज्य द्वारा निर्धारित लक्ष्य को समय से पहले पूरा कर लेंगे ।

डॉ. नंद कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, परिवार कल्याण

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