संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सुख समृद्धि की कामना के लिए सकट चौथ का व्रत

यदि आपका कोई बहुप्रतीक्षित कार्य बहुत दिन से अटका हुआ है तो किसी भी समस्या के समाधान के लिए आज संकट नाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें।

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी यानि आज रखा जाएगा। संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सुख समृद्धि की कामना के लिए सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश के प्रति अपनी आस्था प्रगट करने के लिए मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष माघ के महीने में सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित किया जाता है। इस दिन गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और सकट चौथ व्रत कथा का पाठ किया किया जाता है।


जानिए महिलाएं क्‍यों रखती हैं गणेश चौथ का यह व्रत

माघ मास में पड़ने वाली संकष्‍टी चतुर्थी का पुराणों में खास महत्‍व बताया गया है। सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी का त्योहार कहा जाता है। इस चतुर्थी को माघी कृष्ण चतुर्थी, तिलचौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणेश भगवान तथा सकट माता की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति। शास्‍त्रों के अनुसार माघ मास की संकष्‍टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्‍त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्‍टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। संकष्‍टी चतुर्थी पर पूरे दिन व्रत रखकर शाम के वक्‍त चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर व्रत का समापन किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्‍व, पूजाविधि और इस दिन क्‍या-क्‍या करना चाहिए।


संकष्‍टी चतुर्थी की महत्‍व

शिवपुराण के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करने वाली और एक पक्ष तक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य और दीर्घायु के लिए गणेशजी का व्रत भी करती हैं।


ऐसे करें गणेशजी की पूजा और व्रत

माघ कृष्ण चतुर्थी को संकटों को हरने वाला व्रत बताया गया है। उसमें उपवास का संकल्प लेकर व्रती सबेरे से चंद्रोदयकाल तक नियमपूर्वक रहें और मन को भी काबू में रखें। चंद्रोदय होने पर मिट्टी के गणेशजी की मूर्ति बनाकर उसे लाल कपड़ा बिछाकर चौकी पर स्‍थापित करें। गणेशजी के साथ उनके अस्‍त्र और वाहन भी होने चाहिए। मिट्टी में गणेशजी की स्थापना करके षोडशोपचार से विधिपूर्वक उनका पूजन करें। उसके बाद मोदक और गुड़ से बने हुए तिल के लडडू का नैवेद्य अर्पित करें। उसके बाद तांबे के पात्र में लाल चंदन, कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, शमीपत्र, दही और जल एकत्र करके निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें।


इस दिन क्‍या करें

इस दिन गणेशजी की पूजा करें और व्रत करने का संकल्‍प लें। उसके बाद एकांत में बैठकर गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना अत्यन्त शुभकारी होगा।

गणेश भगवान को कच्‍चे दूध, पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर, पुष्प, वस्त्र आदि समर्पित करके तिल तथा गुड़ के लड्डू, दूर्वा का भोग जरूर लगाएं। लड्डू की संख्या 11 या 21 रखें। गणेशजी को मोदक (लड्डू), दूर्वा घास तथा लाल रंग के पुष्प अति प्रिय हैं।

गणेशजी को विर्घ्‍न हरने वाले और कार्य सिद्ध करने वाले देवता की उपाधि दी गई है। आज गणपतिजी के 12 नाम या 21 नाम या 101 नाम का ध्‍यान करना चाहिए।

पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।  

इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें ।

पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर लें फिर लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।

उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें। 

इसके बाद गणेश जी को फल- फूल और मिष्ठान का भोग लगाएं।

पूजा के दौरान गणेश जी को 21 दूर्वा गांठे उनके अलग अलग नाम का उच्चारण करके अर्पित करें। 

सायं काल में चंद्रदेव को अर्घ्य दें और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करके इस व्रत का पारण करें।


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