चंद्रशेखर आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस करके एलान किया कि वे यूपी में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे। कहा कि हम परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने गुरुवार को इसकी घोषणा की है। बता दें कि गोरखपुर शहर से इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ मैदान में हैं। ऐसे में वर्तमान विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट कट गया है। चंद्रशेखर आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस करके एलान किया कि वे यूपी में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कौन है चंद्रशेखर आजाद
छुटमलपुर के पास स्थित गांव घड़कोली के
रहने वाले चंद्रशेखर आजाद ने एलएलबी की पढ़ाई देहरादून से की है। वर्ष 2015
में भीम आर्मी भारत एकता मिशन का गठन किया गया था, जिसके वह संस्थापक हैं।
मई 2017 में जब शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा हुई तो भीम आर्मी के
कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर सुर्खियां बटोरीं थीं।
जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने मिशन जारी रखा और दलितों के खिलाफ होने वाले मामलों में कार्रवाई की मांग उठाते रहे। हाथरस की बिटिया से दरिंदगी के मामले से लेकर राजस्थान और हरियाणा में हुई घटनाओं के विरोध में भी प्रदर्शन किए। इसके अलावा दिल्ली में संत रविदास मंदिर हटाने से रोकने को लेकर भी आंदोलन किया।
जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने मिशन जारी रखा और दलितों के खिलाफ होने वाले मामलों में कार्रवाई की मांग उठाते रहे। हाथरस की बिटिया से दरिंदगी के मामले से लेकर राजस्थान और हरियाणा में हुई घटनाओं के विरोध में भी प्रदर्शन किए। इसके अलावा दिल्ली में संत रविदास मंदिर हटाने से रोकने को लेकर भी आंदोलन किया।
भीम आर्मी ने दलित समुदाय की शिक्षा को
लेकर भी प्रयास किए। गांव भादो में इस संगठन ने पहला स्कूल भी खोला था।
जबकि अन्य जिलों में भीम आर्मी की टीम द्वारा स्कूलों में किताबों का वितरण
कराया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाई।
चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी का गठन एक साल पूर्व ही किया। इसके बाद यूपी के विभिन्न सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान बुलंदशहर सीट से अपना प्रत्याशी भी उतारा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतार रहे हैं।
भाजपा का गढ़ है गोरखपुर शहर विधानसभा सीट
शहर विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह सीट पिछले 33 वर्षों से भाजपा के पास है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा व कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। दोनों दलों ने मिलकर राहुल राणा सिंह को संयुक्त प्रत्याशी बनाया था। लगा था कि चुनाव रोचक और जोरदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नतीजे चौंकाने वाले आए। भाजपा प्रत्याशी को 1,22,221 वोट मिले, जबकि सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी को 61,491 वोट ही मिल सके। भाजपा के डॉ आरएमडी अग्रवाल को 60,730 वोटों के अंतर से जीत मिल गई। यही नहीं, 2012 के मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ी जीत मिली। जीत का अंतर भी बढ़ गया।मुख्यमंत्री के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प
भाजपा ने शहर विधानसभा क्षेत्र से
मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को प्रत्याशी बनाया है।
इससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। यह सीट 1989 से भाजपा के पास है। 2002 के
चुनाव में डॉ आरएमडी अग्रवाल ने बतौर हिंदू महासभा प्रत्याशी चुनाव जीता
था, लेकिन बाद में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस सीट पर तीन मार्च को
वोट डाले जाएंगे। इससे पहले चार फरवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी।
सपा, बसपा व कांग्रेस ने इस सीट पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
प्रत्याशियों के सामने आने के बाद ही चुनावी लड़ाई का वास्तविक आकलन किया
जा सकेगा।
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