सामाजिक समरसता का केंद्र गोरखनाथ मंदिर और खिचड़ी मेला

 


महायोगी गुरु गोरखनाथ जी को शिवा अवतारी भी कहा गया है। गोरखनाथ की महिमा अपार है। गोरखनाथ मंदिर और वहां का खिचड़ी पर्व, दोनों ही पूरी दुनिया में मशहूर हैं। त्रेतायुग से जारी बाबा गोरखनाथ को मकर संक्रांति की तिथि पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा की सूत्रधार गोरक्षपीठ ही है। 

गोरखनाथ मंदिर बाबा का परिसर धार्मिक स्थल के अलावा सामाजिक और जाति धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां सभी भेद-भाव समाप्त नजर आते हैं। इस परिसर में कारोबारी गतिविधियों से अनेक लोगों का परिवार पलता है, जितने सनातनी तकरीबन उससे अधिक परिवार मुस्लिम समाज के हैं। मंदिर परिसर में एक माह तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम भी बनता है। इसके पीछे महंत अवेद्यनाथ जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिस परंपरा को अब सूबे के मुखिया व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी महाराज बखूबि निर्वहन कर रहे हैं।

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